आगरा पहुँचते-पहुँचते शाम के 4 बज चुके थे। और भूख भी लग रही थी। इसलिए अपने रूम मे जाते ही, सबसे पहले हमने होटल से ही खाना आर्डर किया। खाना महँगा था, पर मेरा बिल्कुल भी मन नहीं था बाहर जा के खाना खाने का। तो होटल में ही मैंने दाल मखनी और रोटी आर्डर कर दी। चूँकि अब पेट पूरी तरह भर चूका था, तो नींद आनी लाज़मी थी। और दोनों की सलाह हुई ओर नतीजा निकला कि थोड़ी देर आराम करके, शाम को होटल के आस पास ही घूमने को निकल जायेंगे और ताज महल कल सुबह-सुबह देखेंगे, उस समय गर्मी भी कम रहेगी तो घूमने मे मजा आएगा। कुछ समय तक हमने होटल में ही आराम किया।
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(यह होटल का रूम जिसमे हम ठहरे हुए थे, नसीब देखो यहाँ भी ताज महल मिल गया ) |
5 बजे के करीब हम दोनों बाहर लोकल मे घूमने निकल गए। एक सज्जन से पूछा तो उन्होंने बताया कि पास में ही टी.डी.आई मॉल है। हम पैदल ही उस मॉल की तरफ निकल गए। 1 किमी चलने के बाद हम मॉल पहुँच गए। मॉल देखा तो वो बंद होने की कगार पर था, सभी दुकाने खाली पड़ी हुई थी। ओर तो ओर मॉल के अंदर ए.सी. भी नहीं चल रहा था। अंदर इतनी गर्मी लगी कि हम 2 मिनट मे ही बाहर आ गए। बारिश अभी थोड़ी देर पहले ही बंद हुई थी , इसलिए बाहर मौसम अच्छा था। थोड़ी देर बैठने के बाद हम वापिस होटल की तरफ चल दिए। वहां से चलते समय मैंने कहा की शाम का खाना बाहार करेंगे, होटल मे बहुत महंगा है। मुझे क्या पता था कि अरुण के मन मे पहले से ही ये बात चल रही है, मेरे कहते ही वो झट से बोला, हां भाई महंगा तो मुझे भी लगा, पर तुझसे कह नहीं पाया। अब हम मन मना चुके थे कि खाना बाहर ही खाएंगे। होटल से थोड़ा सा पहले ही एक भोजनालय दिखाई दिया, इसका नाम था चटपटी रसोई। हमने यही खाने का निर्णय लिया। शाही पनीर और नान आर्डर किया। खाना औसत था, ना ज्यादा स्वादिष्ट और ना ही ज्यादा ख़राब। खाना खा कर, अब हम होटल वापस आ गए, समय लगभग 9 बज गए थे। अब सोने का समय हो गया। पर मैं आपको बता दू कि हमे सुबह जल्दी उठकर होटल मे ही नाश्ता करके फिर ताज महल देखने निकलना था। नाश्ता होटल मे ही इसलिए करना था, क्योकि होटल बुक करते समय ही नाश्ते का विकल्प भी मैंने चुन लिया था। जिसके अलग से पैसे लिए गए थे। जब हमने पहले से ही नाश्ते के पैसे दिए हुए थे, तो बाहर नाश्ता करने का कोई मतलब ही नहीं था।
सुबह मैं 5 बजे ही उठ गया। फिर मैंने अरुण को भी उठाया, अरुण अभी ओर सोना चाहता था। पर मैं चाहता था , कि हम सुबह ही ताज महल देखने जाए। खैर कई बार उठाने पर अरुण उठ गया। फटाफट तैयार होकर मैंने रिसेप्शन पर फ़ोन करके पूछा की नाश्ता किस समय तैयार होगा, तो पता चला कि 7 से 8:30 तक नाश्ते का समय है। अब हमे थोड़ा इंतज़ार करना पड़ा, सोचा कि गलत किया, नाश्ता बुक करके। इतनी देर अब कोन बैठा रहता नाश्ते के लिए। पर हम बैठे रहे, क्योकि पैसे तो हमारे ही गए हुए थे। 7:15 बजे फिर होटल के रिसेप्शन पर कॉल कि तो मेनेजर बोला देरी के लिए माफ़ी चाहता हूँ सर, आज किसी वजह से समय थोड़ा ज्यादा लग रहा है। आप थोड़ी देर ओर इंतज़ार कर लीजिये। एक बार सोचा उसको बोल दू, भाई गलती तेरे से नहीं हमसे हुई है, नाश्ता बुक करके। पर मैंने नहीं बोला और फिर इंतज़ार वाली घडी की सूई, जो हमने रोकी हुई थी उसको फिर से चालू कर दिया। 8 बजे फ़ोन आया कि नाश्ता तैयार है। भूख के कारण पहले से ही जान निकलने को हो रही थी। इसलिए फ़ोन सुनते ही नाश्ते के लिए जा पंहुचे। ब्रेड, जैम, मक्ख़न, पूरी, आलू की सब्जी, अंडा,चाय, और कॉफी ये सब नाश्ते मे थे। हमने अच्छे से नाश्ता किया। इतने में बारिश आने लगी, भोला पहले से ही होटल के गेट पर कार लेकर खड़ा था। नाश्ता करते ही हम गाडी में बैठे और चल दिए प्यार की एक खूबसूरत कला को निहारने।
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(नाश्ते का इंतज़ार मे कुछ तो करना पड़ता, तो टीवी ही देख लिया) |
बारिश मे ही हम ताजमहल की तरफ चले दिए। कार के अंदर तो बारिश आने से रही, इतने कम से कम ताजमहल की पार्किंग तक तो पहुँचे। हम 5 मिनट मे ही पूर्वी गेट की पार्किंग पर जा पहुँचे। इतने बारिश भी रुक गयी। हमने ताज के दीदार के लिए टिकट लिया और पूर्वी गेट पर चले गए। शुरुवात में अंदर गेट पर ही सबकी तलाशी ली जा रही थी। किसी भी तरह की खाने की वस्तु को ले जाना मना था। और ये ठीक भी है, क्योकि कुछ लोग टॉफी, चिप्स खाने के बाद उनका रैपर (छिलका) कही भी फेक देते है। जिससे गंदगी तो फैलती ही है साथ में दूसरे देशो से आये हुए लोगो के सामने हमारे देश की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मैं तो इस फैसले के हक़ में हूँ। खैर आगे बढ़ते है, तलाशी पूरी होने के बाद, थोड़ा आगे चले तो ताज का मुख्य प्रवेश द्वार आ गया और मेरी जैसे ही ताजमहल पर नज़र गयी, मन खिल उठा। एक तो ताजमहल की सुंदरता एसी, जिसकी जितनी तारीफ़ की जाये उतनी कम है। और ताज की सुंदरता में चार चाँद आज के मौसम ने लगा दिए। बारिश बंद हुए कुछ ही समय हुआ था और ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी। सुहाना मौसम ऐसे लग रहा था, मानो ताज को सुन्दर दिखाने का इंतज़ाम आज इन्होंने ही किया है। मैं टकाटक ताज को देखता रह गया। जैसा सोचा था उससे कही ज्यादा सुंदरता अब ठीक मेरे सामने थी। मन कर रहा था कि ज्यादा से ज्यादा ये पल अपनी आँखों में बसा लूँ। सच में तेरी (ताज) सुंदरता लफ़्ज़ों में बया नहीं की जा सकती।
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मुख्य द्वार से ताजमहल का अदभुद दृश्ये |
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मीनारों पर बंधा हरा कपडा इस बात का संकेत है कि इन पर अभी काम चल रहा है। |
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वाह! ताज |
ताजमहल को शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनवाया था। इसे बनाने में संगमरमर के पत्थरो का इस्तमाल किया गया है। मुख्य मीनार के चारो तरफ चार बड़ी-बड़ी मीनारे है। उनमे से दो मीनारों पर काम चल रहा था। प्रत्येक मीनार की ऊँचाई लगभग 35 मीटर होगी, ये मेरा अंदाज़ा है। ऊँचाई कम या ज्यादा भी हो सकती है। और हा इन मीनारों में एक खास बात यह भी है कि ये चारो बाहर की ओर हल्की सी झुकी हुई है। इन्हें एसा जानबूझकर इसलिए बनाया गया है क्योकि यदि किसी कारणवंश मीनार गिरे भी तो ये बाहर की तरफ गिरे ताकि मुख्य ईमारत को किसी प्रकार का नुकसान ना हो। हर साल लाखो की संख्या में सैलानी इसको देखने यहाँ आते है और इसकी खूबसुरती को कैमरे में कैद करके ले जाते है। ताजमहल पूरी दुनिया में स्थित 7 अजूबो में से नंबर 1 के पायदान पर है। हम भी आगे बढ़ते गए और इसकी सुंदरता को अपने कैमरे में कैद करते रहे। अंदर जुते पहन के जाने पर रोक है, या तो आप नंगे पाँव जा सकते है या फिर बाहर दुकानों पर कवर मिलते है। उन कवर को जुते के ऊपर डालकर ही आप अंदर जा सकते हो। हमने कवर तो बाहर से ख़रीदे नहीं, तो हमारे पास अंदर जाने का बस एक ही विकल्प बचा था, नंगे पाँव। तो हम दोनों ने अपने जुते उतारे और जमा करा दिए। यहाँ जुते जमा करने के कोई पैसे नहीं लगते। हम ताजमहल की मस्जिद की तरफ से ऊपर पंहुचे। ताज महल के ठीक पीछे यमुना नदी है।
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यहाँ से आगे का सफर हमने नंगे पाँव किया और ऊपर दिखती मुख्य मीनार |
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ताजमहल की मस्जिद |
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ताजमहल के ठीक पीछे से बहती यमुना नदी, जो इसकी सुंदरता को ओर बढ़ा देती है। |
अरुण और मैं बार-बार एक दूसरे से आगे-पीछे हो जाते थे। पर मैंने उसको रोक नहीं क्योकि हम यहाँ घूमने आये है और उसमे भी यदि कोई हमे अपने हिसाब से चलाने की कोशिश करेगा तो फिर घूमने का क्या मजा। और ना ही उसने मुझे टोका। यमुना नदी को देखते हुए मै आगे बढता गया और कुछ ही देर में मुख्य मीनार में जा पहुँचा! मुख्य मीनार के अंदर ही शाहजहाँ और मुमताज की कब्र बनी हुई है। यहाँ पर फोटोग्राफी पर रोक है। यहाँ बाहरी दीवार पर कुरान की आयते भी लिखी हुई है। और यहाँ बहुत सी कलाकारी के द्वारा मुख्य मीनार की दीवारों को सजाया गया है। हैरानी की बात ये है कि ये सभी कलाकारी हाथो से की गयी है। सचमुच ये सब कलाकारी मन मोह लेने वाली है।
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मुख्य मीनार की दीवार पर लिखी कुरान की कुछ आयतें |
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मुख्य मीनार के अंदर जाते लोग |
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मुख्य मीनार के पास से दिखता मुख्य प्रवेश द्वार
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यहाँ से मैं नीचे उतरकर सीधे वहाँ गया जहाँ हमने अपने जुते जमा कराये थे। अरुण मुझसे पहले ही यहाँ पहुँच गया था। वो तक़रीबन आधा घंटा पहले आ गया था। हमने टोकन देकर अपने जुते ले लिए। ताजमहल को अब हमने अलविदा कह दिया था, पर ताज ने हमे नहीं। कैसे? वो आगे बताऊंगा।
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Bahut badhiya
ReplyDeleteधन्यवाद...
DeleteExcellent...
ReplyDeleteAgra ki to baat hi niraali hai.
ReplyDeleteWah taj ...
ReplyDeleteMain bhi agra gya tha...taj mahal bahut hi accha hai ..sach me
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