Pages

Monday 6 February 2017

चिड़ियाघर, दिल्ली (भाग-1) - Delhi Zoo (Part-1)

22 जनवरी 2017, दिन- रविवार  


योजना 

पिछले कुछ दिनों से सर्दी अच्छी ख़ासी थी। इसी वजह से कही घूमने जाना भी नहीं हो पाया। पर एक मुसाफ़िर के कदम भला कब तक रुक पाते। घुम्मकड़ लोग ज्यादा दिन तक घर में नहीं रह पाते। जैसे ही कुछ दिन गुजरते है वैसे ही कही घूमने की ललक शुरू हो जाती है। और जो अव्वल नंबर के घुम्मकड़ है, वे लोग इस बात को बहुत ही अच्छे से जानते है। सभी घुम्मकड़ लोगो के गुण लगभग मिलते-जुलते होते है जैसे- बीमार होने पर भी ऑफिस से छुट्टी ना लेना। क्योंकि बीमारी में छुट्टी लेंगे तो फिर घूमने के नाम की छुट्टी कहा मिल पायेंगी ? इसलिए कुछ भी ज़रूरी काम हो या बीमारी, छुट्टी लेंगे तो सिर्फ घूमने के लिए। और मैं भी इन्ही में से एक हूँ। दरअसल ऊपर दिए कुछ शब्दों में मैंने अपना हाल ए दिल ही आपको बताया है। 


इन दिनों कंपनी में काम जोरों पर चल रहा है। इसलिए छुट्टी लेने की बात ही भूल जाओ तो अच्छा रहेगा। पर घूमने का कीड़ा रुक रुककर दिमाग़ में रेंगता रहता है, जो ये बात भूलने ही नहीं देता। इसलिए मैंने बिना छुट्टी किये घूमने की योजना बनाईं। जिसमे छुट्टी भी ना हो और ये घुमंतू कीड़ा भी कुछ समय के लिए शांत हो जाये। ये ज्यादा दिन तो शांत रहने वालो में से नहीं है। पर फिर भी इससे इसे कुछ राहत तो ज़रूर मिल ही जाएगी। अपनी पिछली पोस्ट में भी मैंने बताया था कि मैं चिड़ियाघर देखने के लिए जाने वाला था, पर उस समय चिड़ियाघर बंद था। अब तो आप भी समझ गए होंगे मेरी इस यात्रा के बारे में। 

मैंने कभी जानवरों को नहीं देखा। इसलिए जानवरों से रूबरू होने की मेरी बहुत इच्छा थी। और अब इस इच्छा नाम की चिंगारी को हवा दिखाना बस बाकी था। 

शनिवार को ही अपनी पत्नी को बता दिया कि कल जल्दी काम ख़त्म कर लेना, हम घूमने चलेगे....। अगले दिन रविवार को निकलने में थोड़ी देर हो गयी। 11 बजे हम घर से निकले। सबसे पहले धर्म पत्नी के लिए एक हेलमेट ख़रीदा वो भी चालू कम्पनी का, फिर बाइक में पेट्रोल भरवाया और बाइक का प्रदूषण ख़त्म हो रहा था, वो भी लगे हाथों करा लिया। इसी काम में आधा घंटा और लग गया। 11:30 बजे बाइक चलानी शुरू की और 1 घंटे में दिल्ली के चिड़ियाघर पहुँच गए। सबसे पहले बाइक खड़ी करने की 20 रुपए की पर्ची कटवा ली। और उसके बाद हमारे पास जो बैग था उसे लॉकर में जमा कराने को लाइन में लग गया। वैसे तो लॉकर में सामान रखने के यहाँ फ़ीस मात्र 1 रुपए है। बशर्तें आपके पास 1 रुपया खुल्ला होना चाहिए। और यदि खुल्ले 1 रुपए नहीं है तो ये 2, 4 या 5 रुपए भी काट लेते है। ऐसा ये खुल्ले नहीं है कहकर करते है। मेरे पास भी 5 का सिक्का था। जिसमे से मुझे वापस कुछ नहीं मिला। इसी के बराबर में ही टिकट घर है। टिकट घर लगभग 4-5 की संख्या में है। यहाँ वयस्क का टिकट 40, 5 से 12 साल के बच्चो और वरिष्ठ नागरिक का टिकट 20 रुपए है। वही दूसरे देश से आये लोगो के लिए इसका टिकट 200 और 5 से 12 साल के विदेशी बच्चों का टिकट 100 रुपए है। मैंने 80 रुपए में 2 टिकट ले लिए। मेरा बेटा अभी 5 साल से छोटा है इसलिए उसका कोई टिकट नहीं लगा। 

शुरूआती रस्में 

अंदर जाने की कतार लगी हुई थी पुरुष की अलग और महिलाओ की अलग। कुछ देर की लिए हमने भी इस कतार रूपी मेले में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। यहाँ किसी भी तरह की खाने की वस्तु अंदर ले जाना मना है। बहुत से लोग बाहर से ही बन्दरों और बाकी जानवरों को खिलाने के लिए बिस्कुट, टॉफी खरीद रहे थे तो कुछ के पास अपनी दिन की ख़ुराक जैसे- बीड़ी, गुटका, सिगरेट आदि पहले से मौजूद थे। लेकिन चिड़ियाघर के मुख्य द्वार पर ही उनकी इन सामानों को अंदर ले जाने की आस और ख़ुशी पर तलाशी नाम का तीखा तीर छोड़ दिया गया। और कुछ देर में उनके द्वरा ख़रीदे गए बिस्कुट, टॉफी, गुटके, सिगरेट अलग एक बॉक्स में अनाथों की तरह पड़े थे। इन अनाथ बिस्कुट, टॉफी को बराबर में ही पड़े गुटके, सिगरेट , बीड़ी नाम के कुछ अव्वल दर्जे के गुंडे मानो उन्हें इस तरह चिड़ा रहे हो जैसे स्कूल में शरारती बच्चे शरीफ़ बच्चो को चिढ़ाते है सजा के दौरान। 


चिड़ियाघर में अंदर की ओर जाते लोग 







इस बारे में सोचियेगा जरूर

काला हंस (Black Swan)


काला हंस (Black Swan)


काले हंस अधिकांश काले होते है। इनके चौड़े पंखो के सिरे सफ़ेद होते है। जो केवल इनके उड़ते समय ही दिखाई देते है। इनकी गर्दन 'S ' आकार में मुड़ी होती है। ये हंस रात की उड़ते है और दिन में अपने समूह के साथ आराम फरमाते है। ये 'V' आकार की बनावट में एक साथ उड़ते है। ये 110 से 145 सेंटीमीटर तक लंबे हो सकते है और इनका वजन 3500 से 9000 ग्राम तक पाया जाता है। इनकी औसतन उम्र 25 से 33 साल होती है। हरे सब्जियों की पत्तियां और धान इनका प्रमुख भोजन है।















  
शेर-पूंछ बन्दर

शेर-पूंछ बन्दर के मुँह के पास के और पूछ के बाल शेर के बालों की तरह होते है।  इसलिए इसे शेर-पूंछ बन्दर कहते है। इनका वजन 15 से 25 किलोग्राम और लम्बाई 60 से 95 सेन्टीमीटर होती है। ये औसतन 20 से 25 साल तक जीवित रहते है। मादा बन्दर का गर्भ काल 162 से 186 दिन का होता है। ये दक्षिण भारत के उष्णकटिबंधीय सदाहरित में पाया जाता है। आसान शब्दों में बोलू तो ये केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक के जंगलो में पाया जाता है। ये अक्सर 10-20 के समूह में रहते है। और एक समूह में ज्यादा से ज्यादा 3 नर ही रहते है। पर यहाँ इनकी संख्या मात्र 2 है। क्योंकि ये जंगल नहीं चिड़ियाघर है। इनमें से एक नर होगा और एक मादा ही होगी। यह पेड़ो पर रहते है इसलिए अधिकतर फल खाना पसंद करते है। पत्तियां, कीड़े-मकोड़े भी इनके आहार में शामिल है। यहाँ चिड़ियाघर में इन्हें खाने को उबले अण्डे, ब्रेड, दूध, केले, प्याज, टमाटर, आलू, तरबूज, अमरुद आदि दिया जाता है।



  
कृष्ण मृग (Black Buck)

 
कृष्ण मृग (Black Buck)
कृष्ण मृग भारत सबसे सुन्दर मृग है। हल्का शरीर होने वजह से यह बहुत ही फुर्तीला होता। है इसका वजन 35 से 40 किलो तक होता है और लम्बाई 75 सेमी से 125 सेमी। यह लगभग 70 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ सकता है। यह खुले स्थान पर ही रहते है जिसकी वजह से पहले अन्य प्राणियों की अपेक्षा इनका शिकार करना आसान होता था। यह भारत से लुप्तप्राय हो गए थे। लेकिन संरक्षण के फलस्वरूप अब ये सुरक्षित है। इनका जीवनकाल 10-15 साल का होता है। और मादा का गर्भकाल 160 दिनों का होता है। हरी घास, जैसी चीज़े इनके आहार में शामिल है। ये भारत के अलावा अर्जेंटीना में भी पाए जाते है।   


साम्भर 

साम्भर के बारे में बात करे तो, भारत में सबसे बड़े हिरण की प्रजाति साम्भर ही है। इनका निवास छेत्र बहुत ही बड़ा है। ये अपने परिवार (हिरणो) में अपने भव्य मुकुट समान एंटलर्स के कारण पहचाना जाता है। ये बहुत ही साहसी होता है। और इनके दौड़ने के गति इतनी तेज़ होती है कि ये आसानी से बाघ का शिकार नहीं बनते है। और बाघो को भी कई बार बिना शिकार के ही वापस लौटना पड़ता है। इनकी सबसे अच्छी बात मुझे यह लगी कि ये घने जंगलो में बिना कोई आवाज किये चल सकते है। इनकी यह योग्यता सच में लाजवाब है।


गीदड़ (Jackal)

गीदड़ बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे कि ये कौन और किस तरह का जानवर है। फिर मैं गीदड़ के बारे में आपके साथ कुछ जानकारी बाँटना चाहुँगा। गीदड़ मुख्य रूप से बड़े जानवरों द्वारा मारे गए शिकार पर निर्भर रहता है। जैसे ही शेर, बाघ अपने मरे हुए शिकार से हटते है गीदड़ वहाँ पहुँचकर उस मरे हुए शिकार को खाना शुरू कर देता है। इसकी इस आदत की वजह से यदि हम ये कहे कि इसका सफाई में इसका योगदान होता है। तो इसमें कुछ भी गलत नहीं होगा। बचे हुए मृत जीव को खाकर ये कही ना कही उस जगह की सफाई भी करते है। और बहुत से लोग गीदड़ को डरपोक समझते है। पर ऐसा बिलकुल भी नहीं है। जरुरत पड़ने पर ये अपने प्रतियोगी जैसे- गिद्ध, चील और लकड़बग्घे का सामना भी बखूबी करते है। ये खरगोश, छिपकली, कछुए जैसे जीव का शिकार भी कर लेते है। ये 60 से 75 सेंटीमीटर तक लम्बे होते है। और इनका वजन मात्र 7 से 15 किलोग्राम के बीच होता है। ये 32 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार तक दौड़ लेते है। इन्हें झुण्ड में रहना पसंद है। और इनकी औसतन उम्र 14 साल से 17 साल होती है। हिरन इनके पसंदीदा खाने में से एक है। मादा गीदड़ का गर्भकाल 100 से 120 यानी 4 महीने का होता है। यहाँ चिड़ियाघर में इन्हें खाने को भैस के बछेड़े का मॉस (गर्मियों में 2 किलो और सर्दियों में 2.50 किलो की हिसाब से) दिया जाता है।











नीला-पीला मकाओ 

नीला-पीला मकाओ तोते की ही एक प्रजाति है। ये विश्व में सबसे बड़े तोतो में से एक है। इनकी लंबाई का अंदाज़ा आप ऊपर दिए गए चित्र में देखकर लगा सकते है। इनकी लंबाई 76 से लेकर 86 सेंटीमीटर तक हो सकती है। ये बहुत ही मिलनसार और बुद्धिमान होते है। इसका रंग लोगो को अपनी और आकर्षित करता है और इसी वजह से लोग इसे घर में पालना पसंद करते है। ये आमतौर पर कम वर्षा तथा कम घने जंगलों में रहते है। इनकी चोंच बहुत ही मजबूत होती है। मकाओ का वजन 900 से 1500 ग्राम होता है। मादा अपने घोंसले में 2-3 अण्डे देती है और इन अंडों को सेने का काम करती है। दूसरी तरफ इनका पिता यानी नर उसका भरमण और देखभाल करता है। यहाँ इनको खाने में फल और सब्जियाँ दी जाती है। 

गोल्डन फेजेन्ट 
गोल्डन फेजेन्ट एक तरह की मुर्गे की प्रजाति है। जो कैद रखी गयी सबसे लोकप्रिय फेजेन्ट प्रजातियों में से एक है। ये छोटे समूह में रहते है। ये उड़ सकते है लेकिन ये अधिकतर दौड़ना पसन्द करते है। ये दिन में ज़मीन पर ही भरण करते है लेकिन रात को पेड़ो पर रहते है। यह बहुत ही सुन्दर होते है। ये बहुत ही घने जंगलों में और बहुत ही अंधेरे में रहते है। जिससे इन्हें ढूंढ पाना बहुत ही मुश्किल होता है। एक वयस्क नर की लंबाई 90 से 105 सेंटीमीटर होती है। और इनका वजन 630 ग्राम तक होता है। इनका जीवनकाल मात्र 5 से 6 साल का होता है। ये दक्षिण चीन के पहाड़ों पर पाया जाता है। यहाँ मिक्स दाना, हरी सब्जियॉ और फल इसके आहार में शामिल है। 

नर सिल्वर फेजेन्ट 


बायीं और मादा और दायीं और नर सिल्वर फेजेन्ट 


सिल्वर फेजेन्ट, फेजेन्ट की एक प्रजाति है। यह मुख्य रूप से पूर्वी एशिया और पूर्वी व दक्षिणी चीन के वनों, मुख्य रूप से पहाड़ों पर पाए जाते है। नर काले और सफ़ेद रंग का होता है जबकि मादा भूरे रंग की होती है। इसे चीन में वाइट फीनिक्स के नाम से भी जाना जाता है। इनकी लंबाई 70-125 सेमी होती है। ये बहुत ही हलके होते है। इनका वजन मात्र 1 से 2 किलोग्राम होता है। और ये 9 से 10 साल तक जी सकते है। मादा फेजेन्ट का गर्भकाल 26-30 दिनों का होता है। ये एक बार में 6 से 15 अण्डे दे सकती है। यहाँ इनके आहार में ब्रेड, हरी सब्जियॉ, और मिक्स दान मिलता है।

ब्राह्राणी चील 

ब्राह्राणी चील एक मध्य आकार का पक्षी है। जिसका सर और वक्षस्थल सफ़ेद होता है। शरीर का शेष भाग, ब्राह्राणों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले केसरी रंग से कुछ मिलता जुलता प्रभावशाली चेस्टनट भूरे रंग का होता है। इनकी लंबाई 40 से 55 सेमी होती है। ये 600 से 850 ग्राम तक भारी होती है। इनके पंख चौड़े और पूछ छोटी होती है। ये साँप, छोटे पक्षियों का शिकार करती है। ये पानी पर बहुत ही नज़दीक से झपटा मारती है। ये सामान्यतः अकेले ही देखी जाती है। इसकी औसतन उम्र 20-25 साल है। ब्राह्राणी चील का पसंदीदा शिकार मछली है। इनका गर्भकाल 28-35 दिन का होता है। यहाँ पर प्रत्येक चील को 200 ग्राम मॉस रोज़ाना दिया जाता है। यह भारत के साथ-साथ, चीन, पूर्वी-उत्तरी एशिया और ऑस्ट्रेलिया में पायी जाती है। 



इस यात्रा का अगला भाग पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे..... 












4 comments:

  1. आपका ब्लॉग ब्लॉग कलश पर यात्रा वृतांत श्रेणी में जोड़ लिया गया है, धन्यवाद।

    ReplyDelete
  2. yaha pr hirano ki bahut prajatiya hai chaudhary sahab

    ReplyDelete