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Monday 12 June 2017

हिमाचल राज्य संग्रहालय, शिमला- Himachal State Museum, Shimla

इस यात्रा को आरम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे.... 


दिनांक- 12 मार्च 2017, दिन- रविवार 


संग्रहालय जाते समय जब हम नीचे चौराहे पर वापस लौटे तो यहाँ मेरी नज़र एक सुचना पट पर गयी। जिस पर हिमालयन बर्ड पार्क लिखा था। .... जब सामने ही पार्क है तो इसे नज़रअंदाज़ करने का तो कोई सवाल ही नहीं रहा......। जैसे ही पार्क के गेट पर गए तो दो लोग इसमें से निकले और हमसे कहते हुए जा रहे थे कि इसमें मत जाओ। यहाँ कुछ भी नहीं है देखने को......। हम रुके......पर जल्द ही उनकी बातों को पानी ना देते हुए आगे बढ़ गए। 3 टिकट लिए। 2 हमारे और 1 कैमरे का। हमारा 15 रुपए प्रति व्यक्ति और कैमरे का 25 रुपए का टिकट आया। अंदर वाकई में कुछ खास नहीं था। मोर, जंगली मुर्गे और कुछ बत्तख के सिवाये कोई भी पक्षी नहीं था। 5 मिनट में ही इसे देख बाहर आ गए। पर मन को तस्सली थी कि इसे देख आये। ना देखते तो मन में हमेशा टीस ही रह जाती कि सामने से निकल गए और
अंदर नहीं गए। पता नहीं अंदर कौन-कौन से पक्षी होंगे। वैगरा-वैगरा......

















जंगली मुर्गा 










यही से खड़ी चढाई के संग फिर से संग्रहालय की ओर रुख किया गया। रास्ते में हमारे सिवा कोई नहीं था। संग्रहालय नाम की पुड़िया का स्वाद सभी को रास नहीं आता, कुछ ही लोगों को ये शब्द भाता है। दूरी ज्यादा नहीं थी पर चढ़ाई के कारण एक जगह रूका भी गया। अगले कुछ मिनटों में हम संग्रहालय के ठीक सामने थे। 20 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से दो टिकट अपने और एक कैमरे का 50 का टिकट लिया। यहाँ देखने को तो कोई नहीं आता पर टिकट फिर भी इतने महंगे किये हुए है। अंदर प्रवेश किया और देखने लगे पुरानी-पुरानी मूर्तियों को। यहाँ कई सौ साल पुरानी-पुरानी मूर्तियों को सग्रह किया हुआ है जो अलग-अलग जगह से खुदाई के समय मिली है। 






यहाँ अच्छा समय बीता। हमारे अलावा एक प्रेमी युगल ही मात्र यहाँ था। जितनी देर हमने यहाँ बितायी उस दौरान और कोई नहीं आया और ना ही रास्ते में आता हुआ कोई मिला। संग्रहालय के आस-पास स्थानीय लोगों के घर बने हुए है। यह इस पहाड की चोटी पर है जहाँ से जाखू मंदिर पर लगी 108 फ़ीट ऊंची हनुमानजी की प्रतिमा भी साफ़ दिखाई देती है। समय 3 का हो रहा था। आज शाम 6:30  बजे शिमला कालका एक्सप्रेस में हमारी वापसी का रिजर्वेशन था। 3 घंटे अभी हमारे पास थे और अब घूमने को कुछ था नहीं। ये 3 घंटे होटल (जहाँ हमारा सामान रखा है) के पास वाले नगर निगम के पार्क में आराम करने का मन बनाया। वापस जाते समय रास्ते में एक दुकान पर चाय और मैगी खायी। मैगी अच्छी बनी थी। 2 दिन बाद कुछ जीभ को अच्छा लगा। धूप में रास्ते के किनारे बैठ मैगी संग चाय का भरपूर लुफ्त उठाया......। एक अच्छे होटल में, ए.सी के पास, कुर्सी पर बैठ के खाना खाने से कही बेहतर यहाँ रोड़ के किनारे रखे स्टूल पर बैठ खाना खाने में बहुत ही सुकून मिला साथ ही स्वाद भी। 4 बजे तक टहलते हुए होटल के पास वाले पार्क में चले गए। करने को कुछ नहीं था सो धूप में पसर गए। 



घंटे भर धूप सेक मजा आ गया और आलस भी। कुछ ही देर में धूप गायब हो गयी और ठंडी हवाओं ने आलस का कवच तोड़ डाला। 5:30 का समय हो गया तो मैं होटल जाकर अपना सारा समान उठा लाया। चलने से पहले एक होटल से रास्ते के लिए डुग्गु के लिए दूध ले लिया। इतने दूध गर्म हो के आया इतने होटल मालिक से कुछ बाते होने लगी। कुछ उसने पूछा मेरे बारे में कुछ मैंने.....। 



रिज जिस जगह है उसके ठीक नीचे बहुत बड़ा पानी का टैंक है। यहाँ पानी को एकत्रित कर पूरे शिमला वासियों के घरों और यहाँ के होटल वालों को सप्लाई किया जाता है। यह बात मुझे पहले से पता थी पर इसकी पुष्टि करना जरुरी था। इसलिए ये बात मैंने दुकानदार से पूछी। उसका जवाब "हाँ" में था। यानी ये सच है। रिज की चौड़ाई बहुत ज्यादा है और इतना ही बड़ा इसके नीचे स्थित पानी का टैंक। चलते-चलते एक महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लगी। 


आधे घंटे पहले ही स्टेशन पहुँच गए। शिमला से कालका की आखिरी ट्रेन जो शिमला से 6:30 बजे निकलती है में हमारी सीट पहले ही आरक्षित थी। ट्रेन स्टेशन पर लगी तो ठंडी हवा से बचने को पहले ही अपनी सीट जा लपकी। ट्रेन चलने में अभी 15 मिनट का समय था। भूख भी लगी थी....। स्टेशन पर स्थित एक दुकान से सैंडविच, पैटीज़, क्रीम रोल और फ्रूटी ले आया। हमारे साइड वाली सीट पर मिया-बीवी अपनी एक छोटी बच्ची के संग बैठे थे। मैंने यूं ही उस मिया से पूछा कि भाई कैसा लगा शिमला,  हम्म्म्म....... ? 
मिया - "मैं यही रहता हूँ। मेरी तो यही शिमला में बाइक ठीक करने की दुकान है....। गाँव से बच्चों को लाया था शिमला घुमाने। घुमा दिया, अब वापस इन्हे गाँव छोड़ने जा रहा हूँ.... ।"
मैं - "कहाँ से"
मिया - "इलाहाबाद" "मैं तो ये...... मैं तो वो......." 
सच में बहुत ही कम बोलने वाला इंसान के आज मैं मुँह लग गया। उसको छेड़ा भी तो मैंने ही था, तो भुगतना भी मुझे ही पड़ा। जब वो चुप ही नहीं हुआ तो मैंने उसके विपरीत दिशा में अपनी मुंडी घुमा ली। अपनी खाने पर ध्यान केंद्रित किया। ट्रेन चलने से पहले ही सब निपटा डाला। समय पर ट्रेन कालका को रवाना हो गयी। मैंने एक साथ कई चीज़ों का स्वाद लिया था इसलिए पेट में जंग जैसा माहौल बन गया, सर घूमने लगा....। काफी समय तक खुद को संभाला पर जब बात नहीं बनी तो टॉयलेट में जाकर उल्टी कर दी। तब जाके आराम मिला। ट्रेन में ज्यादा भीड़ नहीं थी और ये ट्रेन 18 स्टेशन पर रुकते-रूकाते, रात 11 बजे कालका स्टेशन पहुँच गयी।


कालका-हावड़ा एक्सप्रेस का कालका से चलने का समय 11:55 का है पर आज यह 1 घंटे लेट है। 10 मिनट में ही ट्रेन प्लेटफार्म पर लग गयी। आगे से पीछे तक सभी डिब्बे देखे पर हमारे वाला कही दिखाई नहीं दिया। इतने में कुछ स्लीपर के डिब्बे और जोड़े गए......। इन्ही में से एक में हमारी सीट थी। हमारी लोअर और मिडल सीट थी......। लेटते ही नींद आ गयी। इसी बीच पुलिस वाले भी आये और सभी को अपने-अपने समान का ध्यान रखने को बोले। नींद इतनी तेज आ रही थी कि उनकी बातें आधी ही सुन पाया और नींद जल्द ही हावी हो गयी। तक़रीबन 1 बजे ट्रेन कालका से रवाना हुई। सुबह 7 बजे दिल्ली और 8:30  बजे तक घर......। इस पूरी यात्रा के दौरान हमने 886 किलोमीटर का सफर तय किया।  





संग्रहालय हो जाता रास्ता 



संग्रहालय के अंदर 























संग्रहालय का अंदरूनी हिस्सा 







पोशाक 



आभुषण 












शिमला यात्रा के सभी भाग (आप यहाँ से भी शिमला यात्रा के सभी भाग पढ़ सकते है।):-
1. अबकी बार शिमला यार - Abki Baar Shimla  yaar
2. लो आखिर आ ही गयी ट्रेन - Lo Aakhir Aa Hi Gayi Train
3. कालका-शिमला टॉय ट्रेन का सफर - Kalka-Shimla Toy Train Ka Safar
4. जाखू मंदिर, शिमला - Jakhu Mandir, Shimla
5.  मैं और हसीन वादियां शिमला की - Main Or Haseen Vadiyan Shimla Ki
6. यात्रा को दूसरा पहलू : शिमला - Yatra Ka Dusra Pahalu: Shimla
7. भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला - Indian Institute Of Advanced Study Shimla 
8. हिमाचल राज्य संग्रहालय, शिमला - Himachal State Museum, Shimla









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